उत्तर प्रदेश में लव जिहाद कानून: विधानसभा में विधेयक पास, दोषियों को आजीवन कारावास

उत्तर प्रदेश विधानसभा में मानसून सत्र की कार्यवाही के दौरान मंगलवार को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक 2024 पारित हो गया, जिसे सोमवार को सदन में पेश किया गया था। इस संशोधन में दोषियों को दंडित करने के प्रावधानों को और सख्त कर दिया गया है। पहले से परिभाषित अपराधों की सजा बढ़ा दी गई है, अब दोषी को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा होगी।

उत्तर प्रदेश में लव जिहाद कानून: विधानसभा में विधेयक पास, दोषियों को आजीवन कारावास
उत्तर प्रदेश में लव जिहाद कानून: विधानसभा में विधेयक पास, दोषियों को आजीवन कारावास

लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा में मानसून सत्र की कार्यवाही के दौरान मंगलवार को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक 2024 पारित हो गया, जिसे सोमवार को सदन में पेश किया गया था। इस संशोधन में दोषियों को दंडित करने के प्रावधानों को और सख्त कर दिया गया है। पहले से परिभाषित अपराधों की सजा बढ़ा दी गई है, अब दोषी को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा होगी।

संशोधन में क्या प्रावधान हैं?

संशोधित प्रावधानों के तहत अगर कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन के इरादे से किसी महिला, नाबालिग या किसी भी व्यक्ति को धमकाता है, हमला करता है, शादी या शादी का वादा करता है या इसके लिए साजिश रचता है या तस्करी करता है तो उसके अपराध को सबसे गंभीर श्रेणी में रखा जाएगा। संशोधित विधेयक में ऐसे मामलों में 20 साल की कैद या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है। इससे पहले इसके तहत अधिकतम 10 साल की सजा और 50,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान था।

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शिकायत दर्ज कराने के नए प्रावधान

संशोधित प्रावधान के तहत अब कोई भी व्यक्ति धर्मांतरण के मामलों में एफआईआर दर्ज करा सकता है। पहले मामले में सूचना या शिकायत देने के लिए पीड़ित, माता-पिता, भाई-बहन की मौजूदगी जरूरी होती थी, लेकिन अब इसका दायरा बढ़ा दिया गया है। अब कोई भी व्यक्ति लिखित में पुलिस को इसकी सूचना दे सकता है।

सख्त सजा और सुनवाई के प्रावधान

प्रस्ताव किया गया है कि ऐसे मामलों की सुनवाई सत्र न्यायालय से नीचे की कोई अदालत नहीं करेगी और इसके साथ ही सरकारी वकील को मौका दिए बिना जमानत याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा। साथ ही इसमें सभी अपराधों को गैर-जमानती बनाया गया है।

अध्यादेश और विधेयक का इतिहास

नवंबर 2020 में इसके लिए अध्यादेश जारी किया गया था और बाद में उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों से विधेयक पारित होने के बाद उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 लागू हो गया।

विधेयक का समर्थन और विरोध

संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने सोमवार को सदन में विधेयक पेश किया। हालांकि, विपक्ष ने गैरकानूनी धर्म परिवर्तन अधिनियम में संशोधन करने वाले विधेयक को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की और उस पर सांप्रदायिक राजनीति के जरिए लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश करने का आरोप लगाया।

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने संसद के बाहर संवाददाताओं से जब विधेयक के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ''उनके पास और क्या है, वे कुछ नया नहीं कर रहे हैं।'' उन्होंने आरोप लगाया कि वे सांप्रदायिक राजनीति के जरिए लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।