Punjab में हरियाली की नई क्रांति: Mann सरकार ने बढ़ाया Tree Cover 177.22 Square Kilometers तक!
पंजाब में अब हरियाली की नई लहर दौड़ रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने पिछले दो सालों में ऐसा काम किया है, जो पिछले 20 सालों में कोई सरकार नहीं कर पाई। राज्य में ट्री कवर यानी पेड़ों का क्षेत्र अब 177.22 वर्ग किलोमीटर बढ़ चुका है — और यह पिछले 15 सालों की सबसे बड़ी बढ़ोतरी मानी जा रही है।
पंजाब में अब हरियाली की नई लहर दौड़ रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने पिछले दो सालों में ऐसा काम किया है, जो पिछले 20 सालों में कोई सरकार नहीं कर पाई। राज्य में ट्री कवर यानी पेड़ों का क्षेत्र अब 177.22 वर्ग किलोमीटर बढ़ चुका है — और यह पिछले 15 सालों की सबसे बड़ी बढ़ोतरी मानी जा रही है।
हर घर से जुड़ रहा है हरियाली मिशन
मान सरकार ने पर्यावरण संरक्षण को अपनी सरकार का मुख्य मिशन बनाया है।
वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड 1.2 करोड़ पौधे लगाए गए और 2024-25 के लिए 3 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
यह अब सिर्फ सरकारी कार्यक्रम नहीं रहा, बल्कि जन आंदोलन बन चुका है।
गांवों, स्कूलों, धार्मिक स्थलों और शहरों में लोग खुद पौधे लगा रहे हैं। सरकार का मकसद है — “हर घर बागीचा” यानी हर घर में हरियाली।
पिछली सरकारों की लापरवाही से उजड़ा पंजाब
2001 से 2023 के बीच पंजाब का वन क्षेत्र 4.80% से घटकर 3.67% रह गया, जबकि ट्री कवर 3.20% से घटकर 2.92% तक पहुँच गया।
इसका मतलब है कि राज्य ने 22 सालों में 1.13% वन क्षेत्र और 0.28% पेड़ क्षेत्र खो दिया।
यह उस समय हुआ जब कांग्रेस और अकाली दल की सरकारें राज्य में रहीं।
उन पर आरोप है कि उन्होंने “ग्रीनिंग पंजाब मिशन” जैसे अभियानों को सिर्फ कागज़ों तक सीमित रखा।
2012 में अकाली सरकार ने कहा था कि वो 2020 तक 40 करोड़ पौधे लगाएगी और इसके लिए ₹1900 करोड़ खर्च होंगे।
लेकिन हकीकत यह रही कि सिर्फ 5 करोड़ पौधे लगाए गए, जिनमें से केवल 25-30% ही जिंदा रह पाए।
भ्रष्टाचार ने काट दी हरियाली
2010 से 2020 के बीच 8 से 9 लाख पेड़ “विकास परियोजनाओं” के नाम पर काटे गए।
2013-14 में 2 लाख, 2014-15 में 2.12 लाख, और 2010-11 में 1.50 लाख पेड़ काटे गए।
कांग्रेस शासनकाल में तो हालात और भी खराब हो गए।
तत्कालीन वन मंत्री साधू सिंह धरमसोत पर आरोप लगे कि वे हर कटे हुए खैर पेड़ पर ₹500 की रिश्वत लेते थे, और अधिकारियों के तबादलों के लिए ₹10-20 लाख तक की वसूली करते थे।
यह दिखाता है कि पिछली सरकारों ने पंजाब की हरियाली को भी भ्रष्टाचार का शिकार बना दिया था।
मान सरकार की ठोस पहलें
2024 में भगवंत मान सरकार ने “ट्री प्रिज़र्वेशन पॉलिसी” लागू की, जिसके तहत बिना अनुमति कोई भी पेड़ नहीं काट सकता।
यह नीति पेड़ों को कानूनी सुरक्षा देती है — यानी अब पेड़ों के भी “राइट्स” हैं।
हर विकास परियोजना में कंपेंसेटरी अफॉरेस्टेशन (बदले में पेड़ लगाना) जरूरी किया गया है।
वर्ष 2023-24 में 940.384 हेक्टेयर भूमि पर पौधे लगाए गए।
आंकड़ों में दिखा हरियाली का असर
भारत सरकार की फॉरेस्ट सर्वे रिपोर्ट 2023 के मुताबिक,
पंजाब में 177.22 वर्ग किलोमीटर ट्री कवर की बढ़ोतरी हुई है।
यह सिर्फ आंकड़ा नहीं, बल्कि ये दिखाता है कि पंजाब अब ग्रीन डेवलपमेंट (हरित विकास) की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
धर्म और संस्कृति से जुड़ी हरियाली
सरकार ने पर्यावरण को धार्मिक भावना से भी जोड़ा है।
गुरबाणी की पंक्ति “पवन गुरु, पानी पिता, माता धरत महत” से प्रेरित होकर
राज्य में ‘नानक बागीची’ और ‘पवित्र वन’ जैसी योजनाएँ शुरू की गईं।
अब तक 105 नानक बागीचियाँ और 268 पवित्र वन बन चुके हैं।
ये छोटे-छोटे हरित स्थल शहरों के “ग्रीन लंग्स” (ऑक्सीजन जोन) बन रहे हैं।
इसी के साथ “पंजाब हरियावली लहर” के तहत
3.95 लाख ट्यूबवेलों के पास 28.99 लाख पौधे लगाए जा चुके हैं,
जिससे किसान भी इस मिशन के साझेदार बने हैं।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग और भविष्य की योजना
पंजाब सरकार ने जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) के साथ
₹792.88 करोड़ की बड़ी परियोजना शुरू की है।
इसका लक्ष्य है — 2030 तक पंजाब का वन क्षेत्र 7.5% तक बढ़ाना।
यह परियोजना 2025-26 से अगले पाँच सालों तक चलेगी और इससे
राज्य में रोज़गार के हजारों मौके भी बनेंगे।
CM भगवंत मान का संदेश
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है —
“पेड़ पंजाब की सांस हैं, इन्हें बचाना पंजाब का धर्म है।”
उन्होंने कहा कि अब पंजाब सिर्फ खेती में नहीं, बल्कि हरियाली में भी आत्मनिर्भर बन रहा है।
जो पेड़ पिछली सरकारों की लापरवाही में कट गए थे,
उन्हें अब दोबारा “जड़ें” मिल रही हैं।
नतीजा – बन रहा है ‘रंगला, हरियाला पंजाब’
AAP सरकार की इन कोशिशों ने पंजाब को पर्यावरण संरक्षण का अग्रणी राज्य बना दिया है।
अब राज्य के लोग भी समझ चुके हैं कि विकास और पर्यावरण साथ-साथ चल सकते हैं।
यह नया पंजाब सच में बन रहा है —
“रंगला, हरियाला पंजाब।”