Supreme Court का बड़ा फैसला: अब सड़कों पर नहीं दिखेंगे आवारा कुत्ते, 8 हफ्तों में कार्रवाई का आदेश
देश में लगातार बढ़ रहे आवारा कुत्तों के काटने के मामलों और इससे आम लोगों को हो रही परेशानी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (7 नवंबर 2025) को एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला सुनाया।
देश में लगातार बढ़ रहे आवारा कुत्तों के काटने के मामलों और इससे आम लोगों को हो रही परेशानी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (7 नवंबर 2025) को एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। अदालत ने साफ कहा कि अब सड़कों, हाईवे और सार्वजनिक जगहों पर आवारा कुत्ते नहीं दिखने चाहिए। इसके लिए कोर्ट ने राज्यों और नगर निगमों को 8 हफ्तों के अंदर ज़रूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर तीन बड़े आदेश जारी किए:
1. कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण अनिवार्य
· सभी आवारा कुत्तों की नसबंदी (Sterilization) और टीकाकरण (Vaccination) किया जाए।
· इसके बाद उन्हें Shelter Homes में रखा जाए।
· मतलब, कुत्तों को सीधे सड़क पर छोड़ने की बजाए, उनकी देखभाल और नियंत्रण सरकारी व नगरपालिका शेल्टरों में होगा।
2. राज्य राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश को पूरे देश में लागू करें
· सड़क और हाईवे पर घूमने वाले जानवरों को तुरंत हटाया जाए।
· नगर निगम 24 घंटे गश्त टीम (Patrol Team) बनाए, जो ऐसे मामलों पर नज़र रखे।
· लोगों की शिकायत सुनने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाए।
3. सार्वजनिक जगहों पर कुत्तों का प्रवेश रोका जाए
· स्कूल, कॉलेज, खेल मैदान, अस्पताल, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन में कुत्तों के आने पर रोक लगाई जाए।
· इसके लिए ज़रूरत पड़ने पर बाड़, गेट या अवरोध लगाए जाएं।
मामले की पृष्ठभूमि
कुछ महीने पहले, 11 अगस्त 2025 को, सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने दिल्ली-एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को पूरी तरह से शेल्टरों में बंद करने का आदेश दिया था।
इसका पशु प्रेमियों और NGOs ने विरोध किया।
मामला फिर चीफ जस्टिस के पास गया और वहां से इसे 3 जजों की बड़ी बेंच को भेजा गया।
नई बेंच ने पिछले आदेश को बदलते हुए कहा था कि:
· कुत्तों को पकड़कर नसबंदी और टीकाकरण किया जाए,
· और फिर उन्हें उसी इलाके में वापस छोड़ा जाए।
लेकिन जब कोर्ट ने राज्यों से इस बारे में हलकनामा (Report) मांगा, तो दो महीने में सिर्फ दो राज्यों ने जवाब दिया।
यह देखकर कोर्ट ने नाराज़गी जताई और कहा:
"क्या राज्य के अधिकारी अख़बार नहीं पढ़ते? सोशल मीडिया नहीं देखते? देश में रोज़ कुत्तों के काटने की घटनाएं हो रही हैं और राज्य सरकारें इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहीं।"
क्यों जरूरी था ये फैसला?
· देश में आवारा कुत्तों द्वारा बच्चों और महिलाओं पर हमलों के केस बढ़ रहे हैं।
· अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की छवि खराब हो रही है कि यहां सड़कों पर बड़ी संख्या में आवारा कुत्ते हैं।
· शहरी इलाकों में स्वच्छता और सुरक्षा दोनों पर असर पड़ रहा है।
अब आगे क्या होगा?
अगले 8 हफ्तों के अंदर:
· नगर निगम टीमें बनाएंगे,
· कुत्तों को पकड़ा जाएगा,
· टीकाकरण और नसबंदी की जाएगी,
· उन्हें शेल्टर होम में रखा जाएगा,
· और लोग हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कर सकेंगे।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला लोगों की सुरक्षा, साफ-सफाई और पशु कल्याण – तीनों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
अब ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों और नगर निगमों की है कि वे इसे गंभीरता से लागू करें, ताकि:
· सड़कें सुरक्षित हों,
· लोगों को डर ना रहे,
· और कुत्तों को भी सुरक्षित और नियंत्रित माहौल मिले।