Tarn Taran Bypoll: 40 साल में सबसे कम मतदान, अब परिणाम तय करेंगे 2027 की Preparation कितनी

Nov 12, 2025 - 11:23
Tarn Taran Bypoll: 40 साल में सबसे कम मतदान, अब परिणाम तय करेंगे 2027 की Preparation कितनी

तरनतारन विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजों का अब सबको बेसब्री से इंतज़ार है। यह सिर्फ एक उपचुनाव नहीं, बल्कि पंजाब की सियासत के लिए आने वाले 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी का टेस्ट माना जा रहा है। सभी बड़ी पार्टियां आप, अकाली दल, कांग्रेस और भाजपाइस नतीजे को अपने भविष्य की दिशा तय करने वाला इम्तिहान मान रही हैं।

40 साल बाद सबसे कम मतदान

इस बार तरनतारन में 40 साल बाद सबसे कम मतदान हुआ है।
शाम 6 बजे तक कुल 60.95% वोटिंग हुई।
अगर पिछले आंकड़ों पर नज़र डालें, तो 1985 में सिर्फ 57.5% मतदान हुआ था। उसके बाद हर चुनाव में वोटिंग इससे ज़्यादा रही। यानी इस बार मतदाताओं का उत्साह औसत ही रहा।

साल

मतदान प्रतिशत

1977

66.2%

1980

67.4%

1985

57.5%

1992

निर्विरोध विधायक घोषित

1997

63.8%

2002

62.9%

2007

65.7%

2012

77.1%

2017

72.2%

2022

66.0%

2025

60.95%

क्यों अहम है यह चुनाव

इस उपचुनाव की जीत सभी दलों के लिए बहुत मायने रखती है।
राजनीतिक पार्टियां इसे 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले अपने परफॉर्मेंस टेस्ट के रूप में देख रही हैं।
इस नतीजे से साफ होगा कि पिछले साढ़े तीन साल में किस दल ने अपनी ज़मीनी पकड़ मजबूत की है।

AAP की सबसे बड़ी परीक्षा

सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल है।
पार्टी इस जीत से यह संदेश देना चाहती है कि पंजाब में अभी भी आपके खिलाफ कोई बड़ी लहर नहीं है।

आप ने इस बार भी अपना पुराना विकास + पंथकफार्मूला अपनाया।
इस रणनीति को मजबूती उस वक्त मिली जब पूर्व अकाली विधायक हरमीत सिंह संधू आप में शामिल हो गए।
संधू पंथक राजनीति में जाना-पहचाना चेहरा हैं वे 2002, 2007 और 2012 में लगातार विधायक रहे।
2017
और 2022 में वे दूसरे नंबर पर रहे थे। पिछली बार उन्हें आप के दिवंगत विधायक कश्मीर सिंह सोहल ने हराया था।
इस बार संधू आप के प्रत्याशी हैं और पार्टी ने उन्हें विकास का चेहराबताकर मैदान में उतारा है।

शिअद का जवाब सुखविंदर कौर रंधावा

हरमीत संधू की आप में एंट्री से शिरोमणि अकाली दल (SAD) को झटका लगा, लेकिन पार्टी ने तुरंत पलटवार करते हुए सुखविंदर कौर रंधावा को टिकट दिया।
वह एक धर्मी फौजी की पत्नी हैं और इलाके में उनका अच्छा जनसंपर्क है।
गांवों के कई सरपंचों और पार्षदों ने खुलकर उनका समर्थन किया है।
अकाली दल इस सीट पर पंथक वोटों को अपने पक्ष में बनाए रखने की पूरी कोशिश में है।

BJP की भूमिका

भाजपा के लिए तरनतारन में खोने को कुछ नहीं, लेकिन अगर वह अच्छा प्रदर्शन करती है तो उसका सीधा असर आप के पक्ष में जा सकता है।
क्योंकि इस सीट पर पंथक वोट कई हिस्सों में बंट रहे हैं अकाली दल, आप, वारिस पंजाब दे समर्थित उम्मीदवार मनदीप सिंह खालसा और अन्य छोटे अकाली दलों के बीच।
इस वोट बंटवारे से मुकाबला और दिलचस्प हो गया है।

कांग्रेस की वापसी की कोशिश

कांग्रेस भी इस उपचुनाव में अपनी खोई हुई ज़मीन दोबारा पाने की कोशिश कर रही है।
2017
में कांग्रेस के धर्मबीर अग्निहोत्री ने यह सीट जीती थी, लेकिन 2022 में पार्टी तीसरे स्थान पर आ गई थी।
अब कांग्रेस चाहती है कि इस नतीजे से वह फिर से मजबूती दिखा सके और 2027 की तैयारी को नई दिशा दे सके।

विकास बनाम पंथक एजेंडा

पहले इस इलाके में पंथक राजनीति हावी रहती थी, लेकिन अब लोग विकास को भी प्राथमिकता देने लगे हैं।
आप नेताओं ने अपने साढ़े तीन साल के विकास रिपोर्ट कार्ड को घर-घर पहुंचाने की कोशिश की।
वहीं, अकाली दल और कांग्रेस ने धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर जोर दिया।
यानी इस बार तरनतारन में मुकाबला सिर्फ पंथक नहीं, बल्कि विकास बनाम पंथक एजेंडे का भी है।

अब नतीजों का इंतज़ार

तरनतारन उपचुनाव की मतगणना 14 नवंबर को होगी।
सभी उम्मीदवारों और समर्थकों की निगाहें अब इसी दिन पर टिकी हैं।
इसका नतीजा न सिर्फ एक सीट का फैसला करेगा, बल्कि यह भी बताएगा कि पंजाब की जनता 2027 में किस दिशा में सोच रही है

तरनतारन उपचुनाव भले ही एक सीट का चुनाव हो,
लेकिन इसके नतीजे पूरे पंजाब की राजनीति को प्रभावित करेंगे।
यह तय करेगा कि साढ़े तीन साल बाद कौन सी पार्टी मैदान में कितनी तैयार है,
किसके पास जनता का भरोसा है,
और किसके लिए अब रणनीति बदलने का वक्त आ गया है।