मुख्यमंत्री आतिशी खुद संभालेंगी कैलाश गहलोत के सभी विभागों की जिम्मेदारी

दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने रविवार को आम आदमी पार्टी (आप) से इस्तीफा दे द‍िया। यह साफ हो गया है कि जिन विभागों की जिम्मेदारी कैलाश गहलोत संभाल रहे थे, अब उन विभागों की जिम्मेदारी खुद दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी संभालेंगी।

मुख्यमंत्री आतिशी खुद संभालेंगी कैलाश गहलोत के सभी विभागों की जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री आतिशी खुद संभालेंगी कैलाश गहलोत के सभी विभागों की जिम्मेदारी

नई दिल्ली : दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने रविवार को आम आदमी पार्टी (आप) से इस्तीफा दे द‍िया। यह साफ हो गया है कि जिन विभागों की जिम्मेदारी कैलाश गहलोत संभाल रहे थे, अब उन विभागों की जिम्मेदारी खुद दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी संभालेंगी।

कैलाश गहलोत परिवहन, प्रशासनिक सुधार, सूचना एवं प्रौद्योगिकी, गृह और महिला एवं बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। लेकिन, अब उनके इस्तीफे के बाद इन सभी विभागों की जिम्मेदारी आतिशी के कंधों पर आ गई है। मुख्यमंत्री ने इस संबंध में उपराज्यपाल को प्रस्ताव भेज दिया है।

आतिशी वर्तमान में 13 विभागों की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। ऐसे में कैलाश गहलोत के इस्तीफा देने के बाद आतिशी पर अब और ज्यादा जिम्मेदारी का भार बढ़ गया है।

बता दें कि कैलाश गहलोत ने रविवार को बेहद ही अप्रत्याशित अंदाज में आम आदमी पार्टी को झटका देते हुए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता के साथ ही सभी विभागों से भी इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को इस आशय का एक पत्र लिखते हुए पार्टी व सरकार पर कई आरोप भी लगाए। कैलाश गहलोत ने पत्र में आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी अपना समय केंद्र से विवाद करने में ही व्यतीत करती रहती है। यह हर समय केंद्र से आरोप-प्रत्‍यारोप में उलझी रहती है। इससे विकास कार्य प्रभावित होते हैं।

पार्टी की रुचि जनता से किए वादों को पूरा करने में नहीं है। पार्टी अपना समय केवल केंद्र सरकार से वाद-विवाद करने में ही नष्ट करती रहती है। केंद्र सरकार से तालमेल न होने के कारण जनहित के कार्य नहीं हो पाते। जनता को जो सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए, वह उसे नहीं मिल पाती।

गहलोत ने पत्र में यमुना सफाई का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि जनता से वादा करने के बावजूद दस साल में भी हमारी सरकार इस दिशा में कोई सार्थक कदम नहीं उठा सकी। दिल्‍ली में यमुना की हालत बद से बदतर होती गई। दस सालों में प्रदूषण कम होने की बजाय बढ़ता गया। हम जनता से किए वादे को पूरा नहीं कर पाए।